Wednesday, 3 May 2017
डा सिद्धेश्वर सिंह की पैनी नजरों में सोशल मीडिया
दोहा पंचक ------------- कभी लगावें वीडियो, और लगावें जोक। देखें जब यह नेट पर , मन में होता शोक।। एकाकी चुप बैठकर, देख रहा संयोग। व्हाट्सप ट्वीटर फेसबुक, बने हुए हैं रोग।। आस-पास क्या हो रहा, लगा नहीं अनुमान। आभासी संसार में, लोग बांटते ज्ञान।। जग बदला युग भी ढला बदला संग कुसंग। मोबाइल मानो हुआ अब शरीर का अंग।। सुबह सुबह गुड मॉर्निंग और रात शुभ रात। अब जैसे संवाद में बची यही बस बात।।
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