Wednesday, 22 March 2017
शहीद दिवस
शहीद दिवस (दीपक फुलेरा )
शहीद दिवस की बेला पर माँ भारती को प्रणाम मेरा,
अमर शहीद राजगुरु,सुखदेव व भगत सिंह को ह्रदय से सलाम मेरा,
क्योकि देश की आजादी को हँसते हँसते फांसी में थे वो झूल गए,
आजादी के तरानों में इंकलाब का सुर थे घोल गए,
क्रांति के इन वीरों ने अंग्रेजो को था डरा दिया,
उनकी सत्ता की चुलो को था जड़ से बिलकुल हिला दिया,
तभी तो इन वीरों को देश भक्ति की सजा फांसी मिली,
सतलुज के तट पर देह को उनके फिर आजादी मिली,
खुद को फ़ना कर देश की खातिर ,
आजादी की अलख हिन्द में जगा गए,
मेरा रंग दे बसंती चोला कहकर,
इंकलाब के गीत सुनहरे गा गए,
क्रांति की मशाल लिए आजादी के ये वो दीवाने थे,
असेंबली में बम गिरा कर अँगेजो को डराने वाले थे,
माँ भारती की आजादी का सपना दिल में लिए,
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह आजादी के वो मतवाले थे,
पर 'दीप'आज है सोचते भगत सिंह का जज्बा कहा से लाये,
भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों को कैसे समझाए,
शहीद दिवस पर आज यही चिंतन हमको करना होंगा,
सुखदेव,राजगुरु,भगत सिंह सा जज्बा देश के युवाओं में भरना होंगा,
अमर शहीद राजगुरु,सुखदेव व भगत सिंह को ह्रदय से सलाम मेरा,
क्योकि देश की आजादी को हँसते हँसते फांसी में थे वो झूल गए,
आजादी के तरानों में इंकलाब का सुर थे घोल गए,
क्रांति के इन वीरों ने अंग्रेजो को था डरा दिया,
उनकी सत्ता की चुलो को था जड़ से बिलकुल हिला दिया,
तभी तो इन वीरों को देश भक्ति की सजा फांसी मिली,
सतलुज के तट पर देह को उनके फिर आजादी मिली,
खुद को फ़ना कर देश की खातिर ,
आजादी की अलख हिन्द में जगा गए,
मेरा रंग दे बसंती चोला कहकर,
इंकलाब के गीत सुनहरे गा गए,
क्रांति की मशाल लिए आजादी के ये वो दीवाने थे,
असेंबली में बम गिरा कर अँगेजो को डराने वाले थे,
माँ भारती की आजादी का सपना दिल में लिए,
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह आजादी के वो मतवाले थे,
पर 'दीप'आज है सोचते भगत सिंह का जज्बा कहा से लाये,
भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों को कैसे समझाए,
शहीद दिवस पर आज यही चिंतन हमको करना होंगा,
सुखदेव,राजगुरु,भगत सिंह सा जज्बा देश के युवाओं में भरना होंगा,
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