Friday, 31 March 2017
ओवरलोडिंग पर डी एम सख्त
दुर्घटना को न्यौता दे रहे है हाइवे पर पडे पोल
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अविभावको को मिला छात्रसंघ का साथ
Tuesday, 28 March 2017
बाहरी बुकसेलर पर भड़के अविभावक
Sunday, 26 March 2017
मेडिटेशन कोर्स में दर्जनों साधको ने लिया भाग
Friday, 24 March 2017
अपर पुलिस अधीक्षक ने किया कोतवाली निरीक्षण साफ़ सफाई न दिखने पर बिफरे
सिद्धेश्वर शिव मंदिर में अखंड रामायण व भंडारा
विश्व टी बी दिवस पर गोष्ठी आयोजित
खटीमा। विश्व टीबी दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी की बिमारी को लेकर लोगांे के जागरूक करने की बात कही गई। शुक्रवार को टीबी दिवस के अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मंे एक गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रभारी चिकित्साधीक्षक डा0 प्रदीप सिंह ने टीबी की बिमारी के बारे मंे विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि टीबी एक संक्रामक रोग है। जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमण संक्रमिक व्यक्ति के खांसने व छीकने से वायु में फैंले बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होता है। ट्यूबक्लोसिस अधिकतर फेफडों को प्रभावित करता है। लेकिन रीढ़, किडनी, लिवर व शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इसका असर पड़ सकता है। उन्हांेने कहा कि टीबी एक संक्रामक बिमारी है। जो मरीज के सम्पर्क मंे आने से किसी को भी हो सकता है। इसके बचाव के लिए लोगांे को जागरूक करने की आवश्यकता है। डा0 सिंह ने कहा कि यदि दो सप्ताह तक खांसी आती है तो इसकी जांच करानी चाहिये। जांच व टीबी की दवा सरकारी अस्पताल मेें मुफ्त दी जाती है। टीबी होने पर 6 से 8 माह तक नियमित दवा के सेवन से मरीज पूर्व की भंाति स्वस्थ्य हो जाता है। उन्हांेने कहा कि टीबी की बिमारी के बारे लोगांे को जागरूक कर इस बिमारी से बचाया जा सकता है। इस दौरान गोष्ठी मे डा0 अकलीम अहमद, डा0 आईए खान, संजीव जोशी, धर्मेंद्र गुप्ता, प्रमोद नौटियाल, विजयेन्द्र गंगवार, दिगम्बर ज्याला, एचसी यादव आदि मौजूद थे।Thursday, 23 March 2017
घर के बाहर खडी कार का शीशा तोड़ा
------------------------------- खटीमा। अराजक तत्वों ने घर के बाहर खड़ी कार का पत्थर मारकर शीशा क्षतिग्रस्त कर दिया। वाहन स्वामी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ चकरपुर पुलिस में तहरीर सौंपी है। दिल्ली से आये किशन सिंह ठाकुर चकरपुर में हरी सिंह ठकुराठी के मकान में किराये पर रहते थे और उन्होंने अपनी कार संख्या डीएल9सी एए7512 को घर से बाहर हाईवे के किनारे खड़ी की थी। बुधवार की रात्रि अज्ञात लोगों ने उनकी कार के आगे का शीशा में पत्थर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। गुरूवार की सुबह जब उन्होंने कार का शीशा टूटा देखा तो उनके होश उड़ गये। कार स्वामी ने चकरपुर पुलिस चैकी में अज्ञात लोगों के खिलाफ तहरीर सौंपकर कार्रवाई की मांग की।एस एस बी ने किया बार्डर के पिलरों का निरीक्षण
छात्रों की स्कूल में घटती संख्या के चलते शिक्षक ने चलाया जागरूकता अभियान
गुलदार के हमले में ग्रामीण की मौत के बाद वन विभाग ने जारी किया अलर्ट
माँ के जयकारों से गुंजायमान हुआ खटीमा क्षेत्र
खटीमा-उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध मेला शुरू होते ही सीमांत क्षेत्र मां पूर्णागिरी के जयकारों से गूंज रहा है। श्रद्धालु माता की सुन्दर झांकियों के साथ मां के भजन, गीतों व जयकारों के साथ झुमते नाचते दर्शन को जा रहे है। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरी धाम के दर्शनों के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से भक्त प्रतिदिन खटीमा होते हुए हजारों श्रद्धालु साइकिल, वाहनों व पैदल उमड़ रहे है। पैदल जा रहे श्रद्धालुओं द्वारा मां पूर्णागिरी की सुन्दर झांकियां क्षे़त्र आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। मां पूर्णागिरी के दर्शन को पीलीभीत, माधोटांडा, पुरनपुर, बरेली, बदांयु, शाहजहांपुर आदि क्षेत्रों से लोग साईकिलों व पैदल मंदिर पंहुचते है। बुधवार को यूपी के पीलीभीत जिले के माधोटांडा से पूरा गांव मां की सुन्दर झांकी के साथ मां के जयकारों व भजन गाते नाचते झूमते दर्शन को आगे बढ़ते जा रहे है। श्रद्धालुओं का कहना है कि वह प्रतिवर्ष पूरे गांव के साथ मां की सुन्दर झांकी के साथ माता के दरबार में हाजरी लगाने पंहुचते है और मां उन्हें मांगी मुराद पूरी करती है। वहीं श्रद्धालुओं के जत्थे अपनी साईकिलों को सजा कर माता के दर्शन को रात व दिन जयकारों के साथ दर्शन को उमड़ रहे है। मां पूर्णागिरी मेले के चलते इन दिनों राष्ट्रीय राजमार्ग मां के जयकारों से गुंजायमान है। जिससे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।खटीमा के ग्रामीण क्षेत्रो में हाथियों का आतंक

अनपढ़ बुजुर्ग ने बनाई पॉल्यूशन कंट्रोल मशीन
खटीमा- 77 वर्षीय अनपढ़ बुजुर्ग ने वाहनों से निकलने वाले प्रदूषित धुऐं की रोकथाम के लिए फिल्टर मशीन बनाई। कई शोध संस्थानों में उसने अपने शोध के लिए साक्षात्कार दिये हैं। आला अफसरों से लेकर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक अपने इस शोध को पत्र के माध्यम से पहुंचाया है। लेकिन सुनवाई नहीं होने से बुजुर्ग में मायूसी है, उन्होंने नये आविष्कार को लेकर प्रधानमंत्री से मिलने का निर्णय लिया है। मूलरूप से नाखोली जौरासी तहसील डीडीहाट जिला पिथौरागढ निवासी सोबन सिंह बिष्ट पुत्र स्व0 प्रताप सिंह बिष्ट 40 वर्ष पूर्व किच्छा के शांतिपुरी गांव में आकर बसे 15 साल से वे खटीमा के खेलड़िया गांव में रह रहे हैं। उन्होंने 14 वर्ष पूर्व वाहनों से निकलने वाले धुऐं को खत्म करने के लिए शोध शुरू किया। वे बताते हैं कि उन्होेंने तीस साल पहले मशीन बनानी शुरू की थी। मशीन में प्रदूषण रोकने के लिए तीन फिल्टर लगाये गये हैं पहला मुख्य द्वार, दूसरा मशीन के भीतर और तीसरा पानी को रोकता है। प्रदूषण की जांच को शीशा लगाया है। पानी के लेवल की जांच नटों से होती है। मशीन में ताजा पानी डाला जाता है। धुऐं की गंदगी फिल्टर होकर पानी में रूक जाती है। रबड़, कपड़े और लोहे की जाली लगी है जिनसे पानी के साथ धुऐं को फिल्टर किया जाता है। शोबन को उम्मीद है कि कौशल विकास को आगे बढ़ाने की बात करने वाले प्रधानमंत्री मोदी उनकी अवश्य सुनेंगे।Wednesday, 22 March 2017
शहीद दिवस
शहीद दिवस (दीपक फुलेरा )
शहीद दिवस की बेला पर माँ भारती को प्रणाम मेरा,
अमर शहीद राजगुरु,सुखदेव व भगत सिंह को ह्रदय से सलाम मेरा,
क्योकि देश की आजादी को हँसते हँसते फांसी में थे वो झूल गए,
आजादी के तरानों में इंकलाब का सुर थे घोल गए,
क्रांति के इन वीरों ने अंग्रेजो को था डरा दिया,
उनकी सत्ता की चुलो को था जड़ से बिलकुल हिला दिया,
तभी तो इन वीरों को देश भक्ति की सजा फांसी मिली,
सतलुज के तट पर देह को उनके फिर आजादी मिली,
खुद को फ़ना कर देश की खातिर ,
आजादी की अलख हिन्द में जगा गए,
मेरा रंग दे बसंती चोला कहकर,
इंकलाब के गीत सुनहरे गा गए,
क्रांति की मशाल लिए आजादी के ये वो दीवाने थे,
असेंबली में बम गिरा कर अँगेजो को डराने वाले थे,
माँ भारती की आजादी का सपना दिल में लिए,
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह आजादी के वो मतवाले थे,
पर 'दीप'आज है सोचते भगत सिंह का जज्बा कहा से लाये,
भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों को कैसे समझाए,
शहीद दिवस पर आज यही चिंतन हमको करना होंगा,
सुखदेव,राजगुरु,भगत सिंह सा जज्बा देश के युवाओं में भरना होंगा,
अमर शहीद राजगुरु,सुखदेव व भगत सिंह को ह्रदय से सलाम मेरा,
क्योकि देश की आजादी को हँसते हँसते फांसी में थे वो झूल गए,
आजादी के तरानों में इंकलाब का सुर थे घोल गए,
क्रांति के इन वीरों ने अंग्रेजो को था डरा दिया,
उनकी सत्ता की चुलो को था जड़ से बिलकुल हिला दिया,
तभी तो इन वीरों को देश भक्ति की सजा फांसी मिली,
सतलुज के तट पर देह को उनके फिर आजादी मिली,
खुद को फ़ना कर देश की खातिर ,
आजादी की अलख हिन्द में जगा गए,
मेरा रंग दे बसंती चोला कहकर,
इंकलाब के गीत सुनहरे गा गए,
क्रांति की मशाल लिए आजादी के ये वो दीवाने थे,
असेंबली में बम गिरा कर अँगेजो को डराने वाले थे,
माँ भारती की आजादी का सपना दिल में लिए,
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह आजादी के वो मतवाले थे,
पर 'दीप'आज है सोचते भगत सिंह का जज्बा कहा से लाये,
भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों को कैसे समझाए,
शहीद दिवस पर आज यही चिंतन हमको करना होंगा,
सुखदेव,राजगुरु,भगत सिंह सा जज्बा देश के युवाओं में भरना होंगा,
Wednesday, 8 March 2017
तारबाड में फंसा गुलदार
खटीमा रेंज के बनबसा क्षेत्र उत्तरी कम्पाट छीनी 15 में वन सीमा से सटे गांव देवीपुरा में फंदे में फसा गुलदार। वन विभाग की टीम रेस्कूय में जुटी। गुलदार को देखने के उमड़ी ग्रामीणों की भीड़
Monday, 6 March 2017
प्रशिक्षु आई पी एस ने किया मालखाने का निरीक्षण
Sunday, 5 March 2017
रंगोक त्यार - भुवन विष्ट की कुमाउनी कविता
( रंगों का त्यौहार).
होली के रंग अबीर से,
आओ बांटें मन का प्यार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
रंग भरी पिचकारी से अब,
धोयें राग द्वेष का मैल,
ऊंच नीच की हो न भावना,
उड़े अबीर है लाल गुलाल,
होली के हुड़दंग में भी,
बाँटे मानवता का प्यार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
होली के रंग अबीर से,
आओ बाँटें मन का प्यार,
गुजिया मिठाई की मिठास से,
फैले खुशियों की बहार,
आओ रंगों की पिचकारी से,
धोयें जग का अत्याचार,
होली के रंग अबीर से,
आओ बाँटें मन का प्यार,
खुशहाली आये जग मे,
है आया रंगों का त्यौहार,
बसंत बहार के रंगों से,
ओढ़े धरती है पिताम्बरी,
ईष्या राग द्वेष को त्यागें,
सींचें मानवता की क्यारी,
रूठे श्याम को भी मनायें,
रंगों से खुशियां फैलायें,
झलक एकता की दिखलायें,
रंगों और पानी से सिखें,
चहुँ दिशा में मानवता दिखें,
बहे सुख समृद्धि की धार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
होली के रंग अबीर से ,
आओ बाँटे मन का प्यार,
होली के रंग अबीर से,
आओ बांटें मन का प्यार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
रंग भरी पिचकारी से अब,
धोयें राग द्वेष का मैल,
ऊंच नीच की हो न भावना,
उड़े अबीर है लाल गुलाल,
होली के हुड़दंग में भी,
बाँटे मानवता का प्यार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
होली के रंग अबीर से,
आओ बाँटें मन का प्यार,
गुजिया मिठाई की मिठास से,
फैले खुशियों की बहार,
आओ रंगों की पिचकारी से,
धोयें जग का अत्याचार,
होली के रंग अबीर से,
आओ बाँटें मन का प्यार,
खुशहाली आये जग मे,
है आया रंगों का त्यौहार,
बसंत बहार के रंगों से,
ओढ़े धरती है पिताम्बरी,
ईष्या राग द्वेष को त्यागें,
सींचें मानवता की क्यारी,
रूठे श्याम को भी मनायें,
रंगों से खुशियां फैलायें,
झलक एकता की दिखलायें,
रंगों और पानी से सिखें,
चहुँ दिशा में मानवता दिखें,
बहे सुख समृद्धि की धार,
खुशहाली आये जग में,
है आया रंगों का त्यौहार,
होली के रंग अबीर से ,
आओ बाँटे मन का प्यार,
होली गीतों पर थिरकीं महिलाएं
खटीमा के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों होली गायन की धूम मची है
ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ थारू समाज की महिलाओ व पुरुषों द्वारा
परम्परागत होली गायन का आनंद लिया जा रहा है वही शहरी क्षेत्र में
पर्वतीय समाज की महिलाओ व पुरुषों द्वारा बैठकी होली के चलते वातावरण
उल्लासमय हो चला है महिलाएं एक दुसरे के घरों में जाकर होली गीतों पर
नृत्य करने के साथ ही अबीर गुलाल लगाकर बधाइयाँ दे रहीं हैं आज
सिद्धेश्वर शिव मंदिर में महिला कीर्तन मण्डली द्वारा आयोजित होली गायन
में महिलाओ ने ढोलक व मजीरे की थाप पर होली खेलत नन्दलाल मथुरा की कुंज
गलिन में ,जल कैसे भरूं जमुना गहरी,होली खेलें गिरिजापति नंदन आदि के
गायन के साथ ही मनमोहक नृत्य के जरिये शमा बाँध दिया इस दौरान शांति
पाण्डेय अंजू भट्ट कुसुम पाण्डेय मुन्नी ओझा प्रेमा तिवारी मीना जोशी
जानकी जोशी गंगा पाण्डेय मुन्नी कांडपाल मीरा चन्द कृष्णा नेगी पुष्पा
धपोला रश्मि कापड़ी रीता जोशी सरिता पाण्डेय नीरू सत्वाल गायत्री जोशी
ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ थारू समाज की महिलाओ व पुरुषों द्वारा
परम्परागत होली गायन का आनंद लिया जा रहा है वही शहरी क्षेत्र में
पर्वतीय समाज की महिलाओ व पुरुषों द्वारा बैठकी होली के चलते वातावरण
उल्लासमय हो चला है महिलाएं एक दुसरे के घरों में जाकर होली गीतों पर
नृत्य करने के साथ ही अबीर गुलाल लगाकर बधाइयाँ दे रहीं हैं आज
सिद्धेश्वर शिव मंदिर में महिला कीर्तन मण्डली द्वारा आयोजित होली गायन
में महिलाओ ने ढोलक व मजीरे की थाप पर होली खेलत नन्दलाल मथुरा की कुंज
गलिन में ,जल कैसे भरूं जमुना गहरी,होली खेलें गिरिजापति नंदन आदि के
गायन के साथ ही मनमोहक नृत्य के जरिये शमा बाँध दिया इस दौरान शांति
पाण्डेय अंजू भट्ट कुसुम पाण्डेय मुन्नी ओझा प्रेमा तिवारी मीना जोशी
जानकी जोशी गंगा पाण्डेय मुन्नी कांडपाल मीरा चन्द कृष्णा नेगी पुष्पा
धपोला रश्मि कापड़ी रीता जोशी सरिता पाण्डेय नीरू सत्वाल गायत्री जोशी
शांति पन्त कमला लोहनी कंचन चन्द वीना पांडे कविता आदि मौजूद थे
कुमाउनी सम्पन्नता के अवशेष - पूरन सिंह कार्की
वर्तमान कुमाऊंनी पीढ़ी को अपने अतीत की ओर झांकने में तनिक भी रूचि नहीं है। जब देश के अन्य भागों में सभ्यता व संस्कृति का विकास हो रहा था, कस्बे व नगर बस रहे थे, उस समय कुमाऊंनी पुरखे पहाड़ के एक बड़े भाग पर निश्छलवादियों में बसे हुए थे तथा कुछ अन्यत्र निश्चित क्षेत्रों में यत्र तत्र आकर बसने लगे थे। यूं तो कुमाऊं में आक्रमणकारियों ने अनेक बार विध्वंस किये परन्तु हमारे बुद्धिमान, दूरदर्शी व सामरिक दृष्टि से जागरूक पूर्वजों ने अपनी कला, स्थापत्य का जो रूप प्रस्तुत किया था उसके खण्डहर व अवशेष या तो वीरान हो गये हैं या फिर आज कहीं-कहीं कुमाऊं के दुर्गम स्थानों में देखे जा सकते हैं। ये याद दिलाते हैं कुमाऊं के एकदा सम्पन्न अतीत का-जब कुमाऊं पश्चिमी भाग से आने वाले प्रवासी हम वतनों, पूर्वोत्तर व पश्चिमोत्तर से हमारे पड़ोसी देशों से समय-समय पर पिछली अनेकांे शताब्दियों में आने वाले लोगों की युद्धस्थली बना।
तब मध्ययुगीन परंपरा प्रणाली से लड़े जाने वाले युद्धों में बल्लम, तलवार, खुकरी, पाटल, डागर तथा हल्के पैने देहाती शस्त्रों का प्रयोग होता था। इन हमलों से रक्षा करने के लिए तत्कालीन कुमाऊंनी शासकों, राजाओं, जमीदारों आदि ने किले बनवाये थे। कुमाऊं में पहले 2500 वर्ष ईसापूर्व पुरूषवंशीय राजाओं का राज था।
उदाहरण के लिए वैराटनगर (वैरा पट्टन) में जिसके बारे में कहा जाता है कि यह रामनगर का प्राचीन नाम था। कुरूवंश के राजाओं का यहां पर राज था, कत्यूरी शासक कुरूवंश के राजाओं के बाद यहां पर आये। उधर पाली परगना जिसे कभी पहाड़ की सम्पन्नता के लिए जाना जाता था, राजस्थान के चित्तौरगढ़ से भाग कर आये लोगों द्वारा बसा था।
पाली के कत्यूरवंश का शासक ही पाली का अंतिम शासक था। चंद शासकों ने इस राजा को हराया, और स्वयं शासक बन गये। कत्यूरियों को यहां से भाग कर जाना पड़ा। बारामण्डल में 12 मण्डल थे और 12 मण्डलिक राजा यहां पर रहते व राज करते थे। ये मण्डल राजाओं के आपसी युद्धों में एक दूसरे के पास जाते रहे। बारामंडल के कुछ इलाकों में कत्यूरी राजा बैचल देव या बैजलदेव ने भी राज किया था।
अल्मोड़ा के पास खगराकोट का किला है। यहां पर इस राजा का महल था। चंदों ने इस राजा को लड़ाई में हराया और बारामंडल छीन लिया। शासन को सुगम तरीके से चलाने के लिए राजाओं ने अपनी राजधानी सुरक्षित स्थानों पर बनायी ताकि उनके, किलों के भीतर राजशी (शाही) परिवारों की सुरक्षा हो सके। कत्यूरी राजाओं ने अस्कोट में प्राचीन राजधानी बनायी थी। यहां लखनपुर कोट में कत्यूरी रहते थे। अब केवल स्मारक बनकर रह गया है। इसी के पास बगड़ी नामक बाजार भी अब नहीं रही। राजाओं द्वारा कई परगनों व पट्टियों में किले बनाये गये।
कत्यूरी राजाओं ने फल्दाकोट परगने में भी राज किया था। यहां फल्दाकोट को किला है। किसी जमाने में परगना धनियाकोट में बहुत किले हुआ करते थे। समय ने करवट बदली। पुराना सब मिट गया। इनमें से कई कोट व किले जैसे तल्लाकोट, मल्लाकोट, मजकोट, बुधलाकोट, में गांव बस गये हैं।
दानपुर में शुभगढ़ में भगवती ने शुंभ-निशुंभ दैत्यों को हराया और मारा था। शुभगढ़ नामक गांव में शुभ देव के किले पर दैत्य देवी जी से लड़े थे। किले हमारे कुमाऊंनी शासकों के जन व धन की भी रक्षा करते थे। कत्यूरी सम्पन्न शासक थे। वे गोपालकोट तथा रणचुला किले में अपना खजाना रखते थे। चंद शासक तो अपनी सेना भी इन्ही किलों में रखते थे। रणचुला तो नाममात्र को है भी लेकिन गोपाल कोट का किला पिछली शताब्दी में ही नष्ट हो चला था। वहां पर केवल पहाड़ ही रह गया। स्यूनरा में स्यूनकोट का किला ऊँचे टीले पर बना हुआ था। ऐसे ही तिखौन कोट में एक चोटी पर किला था-चंद शासकों ने इसे जीतने के लिए आक्रमण किया लेकिन वे आगे सफल नहीं हुए और पराजित होकर लौट गये। कोटा के पास शीतेश्वर में तीन गढ थे। कमोला, धमोला में भी कभी राजा रहे होंगे क्योंकि वहां जीर्ण-क्षीर्ण इमारतें पिछली शताब्दी तक थीं। तराई में भी कुमाऊंनी राजाओं ने अपने किले बनाये। कत्यूरियों के जमाने के खण्डहर तराई में आज भी जमीन में दबे हुए हो सकते हैं। सन् 1489 में राजा ने एक किला बनवाया। इसका नाम कीर्तिपुर रखा गया था। इधर शिवालिक श्रेणियों की तलहटी में काठगोदाम से दक्षिण पूर्व की ओर टनकपुर को जाती पर्वत श्रृंखला में कुछ दूरी पर गौलापार के ऊँचे टीले में मध्यम अक्षांश पर राजा विजय चंद कुमाऊं के राजा की गढ़ी थी।
17वीं शताब्दी में 1625 ई. को यह राजा विजय चंद संग्राम सिंह कार्की पीरू गुसाई व विनायक भट्ट द्वारा मार डाले गये। उनकी गढ़ी वीरान हो गयी। इस स्थान पर वर्तमान में बिजेपुर गांव बसा हुआ है। 17वीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षो में राजा दिलीप चंद (1621-24) के सोर के बन्दोबस्ती अधिकारी पीरू गुसाई ने एक रमणीक जगह पर पिथौरागढ़ किला बनवाया था। गढ़ या किले का यह जीता जागता नाम वर्तमान पिथौरागढ़ नाम से आज भी विद्यमान है। ंचंपावत में 1000 वर्ष पुराना राजबुंगे का किला स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना था। 1999 में यह प्राचीन स्मारक ढह गया। ऐसे ही और भी अनेक किले व कोट हैं जिनके बारे में लिखना कठिन है।
अब मैं बाजारों व हाटों की ओर लौटता हूँ। बीर भट्टी में एक मनोरम बस्ती थी, लगभग 200 वर्ष पहले पहाड़ टृट जाने पर यह उजड़ गयी। अब नयी बस्ती पुरानी जैसी नहीं है। चंद राजाओं के समय से रानीबाग के पास गुलाबघाटी के पश्चिम में शीतला देवी की पावनस्थली है। यहां पर चंद राजाओं के समय में शीतलाहाट बाजार था। गोरखों ने जब कुमाऊं में तहस-नहस आंरभ किया तो यहां की बाजार को भी उजाड़ दिया था। लखनपुर के पास गिवाड़पट्टी में कलिरोहाट नामक बाजार था। यह भी समय की भंैट चढ़ गया। हल्द्वानी में मंगलपड़ाव में मंगल के दिन बाजार लगती थी। तथा दूर-दूर का व्यापारी वर्ग व क्रेता दिखाई देते थे।
आज सभी दिन बाजार के हो गये हैं। हल्द्वानी अपने आप में पूरे कुमाऊं का सबसे बड़ा जीता जागता दैनिक बाजार है। इसकी माटी में भी आज अनेकों पुराने भवन खण्डहर होते जा रहे हैं। ऐसे ही और भी अनेक रूपों में हमारा अतीत खोया व बिखरा या सदा के लिए अज्ञात गर्भ में चिल्लापुकार कर हमारी आंखों के संपर्क में आने से पहले ही ओझल हो चुका है।
तब मध्ययुगीन परंपरा प्रणाली से लड़े जाने वाले युद्धों में बल्लम, तलवार, खुकरी, पाटल, डागर तथा हल्के पैने देहाती शस्त्रों का प्रयोग होता था। इन हमलों से रक्षा करने के लिए तत्कालीन कुमाऊंनी शासकों, राजाओं, जमीदारों आदि ने किले बनवाये थे। कुमाऊं में पहले 2500 वर्ष ईसापूर्व पुरूषवंशीय राजाओं का राज था।
उदाहरण के लिए वैराटनगर (वैरा पट्टन) में जिसके बारे में कहा जाता है कि यह रामनगर का प्राचीन नाम था। कुरूवंश के राजाओं का यहां पर राज था, कत्यूरी शासक कुरूवंश के राजाओं के बाद यहां पर आये। उधर पाली परगना जिसे कभी पहाड़ की सम्पन्नता के लिए जाना जाता था, राजस्थान के चित्तौरगढ़ से भाग कर आये लोगों द्वारा बसा था।
पाली के कत्यूरवंश का शासक ही पाली का अंतिम शासक था। चंद शासकों ने इस राजा को हराया, और स्वयं शासक बन गये। कत्यूरियों को यहां से भाग कर जाना पड़ा। बारामण्डल में 12 मण्डल थे और 12 मण्डलिक राजा यहां पर रहते व राज करते थे। ये मण्डल राजाओं के आपसी युद्धों में एक दूसरे के पास जाते रहे। बारामंडल के कुछ इलाकों में कत्यूरी राजा बैचल देव या बैजलदेव ने भी राज किया था।
अल्मोड़ा के पास खगराकोट का किला है। यहां पर इस राजा का महल था। चंदों ने इस राजा को लड़ाई में हराया और बारामंडल छीन लिया। शासन को सुगम तरीके से चलाने के लिए राजाओं ने अपनी राजधानी सुरक्षित स्थानों पर बनायी ताकि उनके, किलों के भीतर राजशी (शाही) परिवारों की सुरक्षा हो सके। कत्यूरी राजाओं ने अस्कोट में प्राचीन राजधानी बनायी थी। यहां लखनपुर कोट में कत्यूरी रहते थे। अब केवल स्मारक बनकर रह गया है। इसी के पास बगड़ी नामक बाजार भी अब नहीं रही। राजाओं द्वारा कई परगनों व पट्टियों में किले बनाये गये।
कत्यूरी राजाओं ने फल्दाकोट परगने में भी राज किया था। यहां फल्दाकोट को किला है। किसी जमाने में परगना धनियाकोट में बहुत किले हुआ करते थे। समय ने करवट बदली। पुराना सब मिट गया। इनमें से कई कोट व किले जैसे तल्लाकोट, मल्लाकोट, मजकोट, बुधलाकोट, में गांव बस गये हैं।
दानपुर में शुभगढ़ में भगवती ने शुंभ-निशुंभ दैत्यों को हराया और मारा था। शुभगढ़ नामक गांव में शुभ देव के किले पर दैत्य देवी जी से लड़े थे। किले हमारे कुमाऊंनी शासकों के जन व धन की भी रक्षा करते थे। कत्यूरी सम्पन्न शासक थे। वे गोपालकोट तथा रणचुला किले में अपना खजाना रखते थे। चंद शासक तो अपनी सेना भी इन्ही किलों में रखते थे। रणचुला तो नाममात्र को है भी लेकिन गोपाल कोट का किला पिछली शताब्दी में ही नष्ट हो चला था। वहां पर केवल पहाड़ ही रह गया। स्यूनरा में स्यूनकोट का किला ऊँचे टीले पर बना हुआ था। ऐसे ही तिखौन कोट में एक चोटी पर किला था-चंद शासकों ने इसे जीतने के लिए आक्रमण किया लेकिन वे आगे सफल नहीं हुए और पराजित होकर लौट गये। कोटा के पास शीतेश्वर में तीन गढ थे। कमोला, धमोला में भी कभी राजा रहे होंगे क्योंकि वहां जीर्ण-क्षीर्ण इमारतें पिछली शताब्दी तक थीं। तराई में भी कुमाऊंनी राजाओं ने अपने किले बनाये। कत्यूरियों के जमाने के खण्डहर तराई में आज भी जमीन में दबे हुए हो सकते हैं। सन् 1489 में राजा ने एक किला बनवाया। इसका नाम कीर्तिपुर रखा गया था। इधर शिवालिक श्रेणियों की तलहटी में काठगोदाम से दक्षिण पूर्व की ओर टनकपुर को जाती पर्वत श्रृंखला में कुछ दूरी पर गौलापार के ऊँचे टीले में मध्यम अक्षांश पर राजा विजय चंद कुमाऊं के राजा की गढ़ी थी।
17वीं शताब्दी में 1625 ई. को यह राजा विजय चंद संग्राम सिंह कार्की पीरू गुसाई व विनायक भट्ट द्वारा मार डाले गये। उनकी गढ़ी वीरान हो गयी। इस स्थान पर वर्तमान में बिजेपुर गांव बसा हुआ है। 17वीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षो में राजा दिलीप चंद (1621-24) के सोर के बन्दोबस्ती अधिकारी पीरू गुसाई ने एक रमणीक जगह पर पिथौरागढ़ किला बनवाया था। गढ़ या किले का यह जीता जागता नाम वर्तमान पिथौरागढ़ नाम से आज भी विद्यमान है। ंचंपावत में 1000 वर्ष पुराना राजबुंगे का किला स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना था। 1999 में यह प्राचीन स्मारक ढह गया। ऐसे ही और भी अनेक किले व कोट हैं जिनके बारे में लिखना कठिन है।
अब मैं बाजारों व हाटों की ओर लौटता हूँ। बीर भट्टी में एक मनोरम बस्ती थी, लगभग 200 वर्ष पहले पहाड़ टृट जाने पर यह उजड़ गयी। अब नयी बस्ती पुरानी जैसी नहीं है। चंद राजाओं के समय से रानीबाग के पास गुलाबघाटी के पश्चिम में शीतला देवी की पावनस्थली है। यहां पर चंद राजाओं के समय में शीतलाहाट बाजार था। गोरखों ने जब कुमाऊं में तहस-नहस आंरभ किया तो यहां की बाजार को भी उजाड़ दिया था। लखनपुर के पास गिवाड़पट्टी में कलिरोहाट नामक बाजार था। यह भी समय की भंैट चढ़ गया। हल्द्वानी में मंगलपड़ाव में मंगल के दिन बाजार लगती थी। तथा दूर-दूर का व्यापारी वर्ग व क्रेता दिखाई देते थे।
आज सभी दिन बाजार के हो गये हैं। हल्द्वानी अपने आप में पूरे कुमाऊं का सबसे बड़ा जीता जागता दैनिक बाजार है। इसकी माटी में भी आज अनेकों पुराने भवन खण्डहर होते जा रहे हैं। ऐसे ही और भी अनेक रूपों में हमारा अतीत खोया व बिखरा या सदा के लिए अज्ञात गर्भ में चिल्लापुकार कर हमारी आंखों के संपर्क में आने से पहले ही ओझल हो चुका है।
मैथ्स ओलंपियाड में नोजगे का जलवा
खटीमा के
नोजगे पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओ ने एस0ओ0एफ0 द्वारा अयोजित 10 इण्टरनेशंल मेथस ओल्मपियाड में हर्षित पाण्डे कक्षा 3,जसकिरण कक्षा 4, विवेक महरा कक्षा 6 , निकिता अग्रवाल कक्षा 10 , खडक चन्द कक्षा 11 वी ने गोल्ड मेडल तथा अदित्य सिघ्ंाल कक्षा 3 , ईशान टंडन कक्षा 4, नितिन सिहं कक्षा 6,शुभम कुमार कक्षा 11 ने सिल्वर मेडल तथा आकार राना कक्षा 3, भूमि बिष्ट कक्षा 4, कृतिकाश्री कक्षा 6, कमल सिहं फिकवाल कक्षा 11 ने ब्रान्ज मेडल जीत कर विघालय का नाम रोशन किया जिसमे से सभी गोल्ड मेडल जीतने वाले छात्रो ने द्वितीय स्तर पर (नेशंनल लेवर) पर प्रतिभाग किया। उनकी इस सफलता पर विद्यालय की प्रबन्धिका ट्व्किलं दत्ता , एकेडिमिक आफिसर डा0 विनय जैन , डायरेक्टर नूपुर दत्त सिन्हा , रेनू दत्ता एंव गीतांजली कन्याल , मीना मालकानी , प्रेमा कन्याल , किरन अग्रवाल , अवनिश भटनागर एंव समस्त स्टाफ ने बाधाई दी तथा उज्जवल भविष्य की कामना की ।खटीमा की दुकानों में खाद्य विभाग की छापेमारी
खटीमा। होली पर्व के चलते खाद्य विभाग ने ग्रामीण व नगर मे अभियान चलते हुए मिठाईयों की दुकानों में छापा मारा। छापेमारी के दौरान खाद्य विभाग ने दूध व वर्फी की सैम्पल लिया। तथा पांच किलो बासी मिठाई को नष्ट कराया। षनिवार को खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय तिवारी ने होली पर्व के चलते नगर में बिकने वाले नकली मावा, पनीर व बासी मिठाईयों की बिक्री रोकने को लेकर नगर व ग्रामीण क्षेत्रों मे स्थित लगभग एक दर्जन मिठाईयों की दुकानों में छापामारा। छापे के दौरान अरोडा मार्केट से अमूल गोल्ड दूध व झनकईया स्थित मदन सिंह की मिठाई की दुकान से बर्फी का सैम्पल लिया। नगर की कई दुकानों में कोल्ड ड्रिंक, रियल जूस एक्सपायरी मिलने पर दुकानों की फटकार लगाते हुए नष्ट कर दिया। वही ग्रामीण क्षेत्र सत्रहमील मे ष्यामलाल की मिठाई की दुकान मे बासी मिठाई मिलने पर दुकान स्वामी को जमकर फटकार लगाते हुए मिठाई को नष्ट कराया। तथा जमौर मे दो मिठाई दुकान स्वामियों को साफ सफाई को लेकर नोटिस दिया। जमौर मे ही बिना लाईसेंन्स की चल रही मिठाई दुकान स्वामी महबूब को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह मे लाईसेंन्स बनवाने के निर्देष देते हुए दुकान मे साफ-सफाई रखने की हिदायत दी। मिठाईयों की दुकानों में छापामारी के चलते दुकान स्वामियों में हड़कम्प मचा रहा। छापामारी की सूचना लगते ही दुकानदारों ने खुले में रखी जलेबी, समोसे व मिठाईयों को पन्नियों से ढक लिया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि मिठाईयों की दुकानों में छापामारी के दौरान पांच किलो बासी मिठाईयां नष्ट की गई है। तथा दो दुकानो से दूध व बर्फी के सैम्पल लेकर जांच के लिए रूद्रपुर स्थित लैंब भेजे गये है। व 6 दुकान स्वामियों को साफ-सफाई न रखने पर नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा नकली मावा, पनीर व बासी मिठाईयां बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। तथा छापामारी का अभियान आगे भी जारी रहेगा।
11 मार्च को आयेंगे नतीजे
उत्तरखंड विधानसभा की गिनती 11 मार्च को सुबह 8 बजे से प्रारंभ होगी, जिसमे जनपद उधम सिंह नगर की सभी सीटों की गिनती रुद्रपुर में की जाएगी
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